कैसे चीन्हेंगे अब राधा को, सोच रहे कुंजबिहारी! कैसे चीन्हेंगे अब राधा को, सोच रहे कुंजबिहारी!
पूरे तन-मन में जैस श्रृंगार से लिपटी लरजिश की अकल्पित भावना दौड़ी हो! पूरे तन-मन में जैस श्रृंगार से लिपटी लरजिश की अकल्पित भावना दौड़ी हो!
अद्भुत छवि तुम्हारी, हे बाँके बिहारी, पगड़ी की शोभा, लागे न्यारी न्यारी ! अद्भुत छवि तुम्हारी, हे बाँके बिहारी, पगड़ी की शोभा, लागे न्यारी न्यारी !
फ़ीजाओं में, वतन के यूँ महकते रहेंगे, फ़ीजाओं में, वतन के यूँ महकते रहेंगे,
रो रहा है आसमान भी, अश्रु की बहा रहा है धारा, रो रहा है आसमान भी, अश्रु की बहा रहा है धारा,
छोड़ दियो सब राज को तुमने, संतन बीच मन कीर्तन धारी, छोड़ दियो सब राज को तुमने, संतन बीच मन कीर्तन धारी,